मुर्ख गधा (1)

Foolish Donkey

एक नमक का व्यापारी था।वो रोज अपने गधे पर नमक के बोरे लाद कर बाज़ार में बेंचने जाता था। उनके रास्ते में एक छोटा सा साफ पानी का नाला पड़ता था।उसे पार करके ही उन्हें आगे जाना होता था।


एक रोज गधे का पाँव थोड़ा सा फिसल गया और नमक के बोरे पानी में डूब गए।गधा काफी कोशिशो के बाद सम्भल कर खड़ा हुआ।तब तक नमक पानी में घुल कर बह गया।बोरे काफ़ी हल्के हो गये ।गधे को बहुत ख़ुशी हुई।



अब गधे को ये ट्रिक समझ आ गई कि जैसे ही नमक के बोरे पानी में डूबेगे ,नमक पानी में घुल कर बह जाएगा और उसका बोझ हल्का हो जायेगा।



अब गधा रोज ही ऐसा करने लगा।पानी में उतरते ही वो रोज नीचे बैठ जाता। नमक घुल कर बह जाता। व्यापारी का बड़ा नुकसान होने लगा। साथ ही व्यापारी समझ गया कि गधा चलाकी कर रहा है। व्यापारी ने गधे को सबक सीखने की तरकीब सोची।



व्यापारी ने गधे की पीठ पर नमक की जगह रुई से भरें बोरे लाद दिए। जो काफी हल्के थे।गधा काफी खुश था उसने सोचा पानी में पहुँच कर वो। अपने बोझ को और हल्का कर लेगा। लेकिन जैसे ही बोरे पानी में डूबे रुई गीली हो कर और ज्यादा भारी हो गई। गीली रुई के बोझ से गधे की पीठ में दर्द होने लगा। अब गधे की चलाकी उसको भारी पड़ गई थी।



उस दिन के बाद गधे ने कभी चलाकी नहीं करी।व्यापारी बहुत खुश था।



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पहेली (2)

riddles and puzzles

राजा अकबर को पहेलियाँ बूझने और बुझवाने का बहुत शोंक था। वो अक्सर अपने दरबारियों से कोई ना कोई पहेली पूछते रहते थे। कुछ पहेलियाँ मजेदार होती थी कुछ बड़ी विचित्र।

उस दिन भी राजा अकबर ने अपने दरबारियों से कुछ ऐसी ही पहेली पूछी थी जिसके जवाब में सभी दरबारियों ने सिर झुका लिया था। पूरे दरबार में लग़-भग  सन्नाटा पसर गया था।
राजा ने बारी बारी से सब की तरफ़ देखा लेकिन उस विचित्र पहेली का जवाब किसी के पास नहीं था।

तभी दरबार में बीरबल ने प्रवेश किया। दरबारियों की स्थिति देख कर वो समझ गए क़ि राजा जी ने कुछ अनोखा सवाल पूछा हुआ है। बीरबल ने सिर झुक5 कर बड़े अदब से पूछा।
" जहाँपनाह ,क्या में सवाल जान सकता हूँ ? ताकि एक कोशिश में भी कर सकूँ ।"

राजा अकबर बोले " तो बताओ बीरबल हमारे राज्य में कुल कितने कौवे हैं ?"
बीरबल ने जवाब सोचने में जरा भी समय नहीं लगाया और बड़े अदब से जवाब दिया । " जी जहाँपनाह , हमारे राज्य में कुल पचास हजार ,पाँच सौ,सतासी कौवे हैं ।"

" तुम ये इतने यकीन से कैसे कह सकते हो ?" राजा अकबर ने कहा ।
बीरबल ने फिर बड़े सलीके से थोड़ा झुक कर कहा " आप गिन लीजिये जहाँपनाह ..अगर कुछ कौवे ज्यादा निकले तो इसका मतलब है कि कुछ कौवे अपने रिश्तेदारो से मिलने आये हुए हैं। और अगर कुछ कम निकले तो इसका मतलब है कि कुछ कौवे अपने रिश्तेदारों से मिलने गए हुये हैं ।" 

जवाब सुन कर राजा अकबर ज़ोर से हँस पड़े।उन्हें उनकी पहेली का जवाब मिल चुका था।

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चतुर चोर (3)

Clever Thief.


एक चोर था। उसका नाम रॉबी था। रॉबी बहुत चतुर था। ऐसा सभी का मनना था। इस वजहा से रॉबी के सभी साथी रॉबी से जलते थे।इसलिये उन्होंने मिल कर उसे पकड़वाने की स्कीम बनाई।


साथियो ने रॉबी को चैलेंज दिया कि अगर उसमें हिम्मत है तो वो राजा का पैजामा चुरा कर दिखाये। रॉबी ने चैलेंज स्वीकार कर लिया। साथी जानते थे क़ि अगर वो राजा के महल में चोरी करते पकड़ा गया तो उसे राजा बहुत बड़ा दंड देंगें।और ये बात रॉबी भी जनता था। अब वो राजा का पैजामा चुराने का प्लान बनाने लगा।



रॉबी राजा के महल में पंहुचा।उसने देखा राजा मजे से सोया हुआ है। रॉबी ने आपनी जेब से एक छोटी सी शीशी निकली।उसमें लाल चींटिया थी। रॉबी ने शीशी को राजा के पलंग पर उलट दिया।

चींटियों ने राजा को काटना शुरू किया। राजा दर्द से बिलबिला उठा।और जोर जोर से नोकरो को पुकारने लगा।


नोकर भागे हुये अंदर आये। लेकिन इतनी सारी लाल चींटियों को देख कर वो भी घबरा गए।किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था और राजा का हाल बुरा था।



रॉबी नोकरो में मिल गया और उसने झट पट राजा से उसका पैजामा उतरवा कर जोर जोर से झटकता हुआ महल से बहार आ गया। और हड़बड़ी में महल से बाहर भी निकल आया।राजा या नोकरो में से किसी को भनक भी नहीं लगी।



रॉबी ने पैजामा ला कर साथियों के आगे रख दिया।साथियो ने एक मत हो कर मान लिया की रॉबी एक बुद्धिमान चोर है।




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चौकीदार (4)

Watchman

एक संग्रहालय (museum) में रात को पहरा देने के लिये चोकीदार की जरुरत थी।मैनेजर ने अख़बार में विज्ञापन दिया।जिसके जवाब में उसे बहुत सारी एप्लीकेशन आई।लेकिन मैनेजर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।उसे हर आदमी में कोई ना कोई कमी नजर आ रही थी।संग्रहालय बहुत बड़ा था। मैनेजर किसी गलत आदमी को रखना नहीं चाहता था।

आखिरकार उसने एक कंडिडेट को बुलाया । वो एक पतला दुबला नोजवान लड़का था। मैनेजर ने उसकी हैल्थ से सम्बंधित सवाल किया।जवाब में जवाब में लड़के ने कहा " मुझे रात में नींद ना आने की बीमारी हैं ।"

जवाब सुनते ही मैनेजर ने मुस्कराते हुये पूरी तसल्ली से लड़के को नोकरी दे दी।

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भेड़िया और सारस(5)

Crane and wolf

एक  भेड़िया था। उसे एक दिन बहुत बढ़िया शिकार मिला । भेड़िया भूखा था सो जल्दी जल्दी खाने लगा। जल्दबाजी में भेड़िये के गले में हड्डी अटक गई।भेड़िये को साँस लेने में भी परेशानी होने लगी। उसने बहुत कोशिश करी लेकिन हड्डी गले से नहीं निकाल पाया।भेड़िये ने सोचा ऐसे तो वो मर जायेगा।

वो सोचने लगा अब क्या ? तभी भेड़िये को सारस का धयान  आया । सारस की गर्दन लंबी और पतली थी।भेड़िये ने सोचा वो हड्डी को निकाल कर  उसे आराम दिला सकता है । ऐसा सोच कर वो सारस के पास पहुच गया।

भेड़िये ने सारस ने बिनती करी " सारस भाई मेरे गले में फंसी हुई हड्डी निकाल दो ,मै तुम्हें मुँह माँगी फीस दूँगा।"

सारस ने अपनी लंबी गर्दन  को भेडिये के मुँह में डाला और हड्डी को निकाल दिया। भेड़िये की जान में जान आई। अब सारस ने भेड़िये से अपनी फीस मांगी।

भेड़िये ने दोनों हाथ कमर पर रखे और आँखों को गोल गोल घुमा कर बोला । " तुमने अपनी गर्दन मेरे मुँह में डाली और सुरक्षित निकाल ली क्या ये फीस कम हैं.. अब और फीस भूल जाओ ।" 

कह कर भेड़िया कूदता हुआ जंगल में गुम्म हो गया ।

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बदसूरत बत्तख़ (6)
Ugly Duckling

मौसम बहुत ख़ुशगवार था। बसंत शुरू हो चुका था।हवा में ताज़गी थी।इतने रोमानी मौसम में एक छोटी सी झोपडी के पीछे एक बत्तख़ अपने दस अन्डो के ऊपर बैठी उन्हें सै रही थी।

" क्रिक.. क्रिक..क्रिक " अन्डो से आवाज आई और छोटे छोटे सुन्दर ,प्यारे बत्तख़ के बच्चे अंडो से बाहर आने लगे। लेकिन एक अंडा नहीं फूटा । वो बाक़ी अंडो से कुछ अलग और बड़ा था । बत्तख़ फिर उस अंडे पर बैठ गई।

दूसरे दिन अंडे से आवाज आई। "क्रेक... क्रेक " और एक नन्हा बच्चा अंडे से बाहर निकल आया। वो बच्चा बाक़ी बच्चों से कुछ अलग था।

बत्तख़ ने अपने सारे बच्चों को इक्कट्ठा किया और तालाब की तरफ बड़ चली।बच्चे लाईन बना कर बत्तख़ के पीछे चल रहे थे।आखरी बच्चा सब से पीछे था।

बत्तख़ ने कहा " बच्चों एक एक कर के तालाब में जम्प लगाओ "  बच्चों ने वैसा ही किया। सब बच्चे धीरे धीरे तैरने लगे।आखरी बच्चा बाकी बच्चों से ज्यादा अच्छा तैर रहा था। थोड़ी देर बाद बत्तख़ बच्चों को ले कर वापिस लौट आई।

जो बच्चा सब से अलग था उसे सब तंग करते थे।कोई उसको नोचता, कोई काटता, कोई मारता ।बच्चा उदास और दुखी रहने लगा।कोई उसके साथ खेलता तो था नहीं । वो उदास बच्चा तालाब के दूसरे किनारे पर जा कर बैठ जाता।

तालाब में बहुत सरे सफ़ेद ,सुन्दर पतली लंबी गर्दन वाले हंस एक साथ लाइन बना कर तैरते थे।बच्चे को ये सब देखने में बहुत मजा आता। धीरे धीरे बसंत का मौसम बीत गया और सर्दियाँ आ गई।तालाब बर्फ से पट गया ।हंस वहाँ से चले गए।

बच्चा ठंडा और उदास रहने लगा।बत्तख़ के अलावा उसके पास कोई ना आता।मौसम एक सा नहीं रहता और सर्दी का मौसम गुजर गया। हवा फिर से ख़ुशगवार हो गई।फ़ूल फिर से खिलने लगे। बसंत शुरू हो गया।

तालाब में फिर से पानी बहने लगा। बत्तख़ का आखरी बच्चा फिर से तालाब के किनारे पहुँच गया । तालाब में हंस तैर रहे थे। बच्चे का मन चाह वो भी हंसो के साथ जा कर तैरे ,मगर वो जनता था क़ि वो उसे दूसरो की तरह मारेंगे। वो मरना चाहता था । बच्चा पानी में उतर गया। उसके चारो तरफ हंस तैरने लगे । हंसो ने उसे घेर लिया। तभी बत्तख़ के बच्चे की नज़र पानी में गई। वहाँ उसने एक सफ़ेद,सुन्दर ,पतली गर्दन वाले हंस को देखा। वो उसकी छवि थी। वो एक हंस था।

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