मछुआरा

एक समय की बात हैं।एक गाँव में एक गरीब मछुआरा अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ रहता था।मछुआरा इतना गरीब था क़ि वो अपने परिवार का पालन- पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाता था । मछुआरा रोज तड़के उठ कर समुंद्र मेँ मछली पकड़ने चला जाता और सूरज छुपने के बाद ही घर लौटता।

मछुआरे का एक नियम था । वो चार बार से ज्यादा अपना जाल समुंद्र में नहीं फेकता था । मछुआरे ने भगवान का नाम ले कर जाल को समुंद्र मे फेंका और इंतजार करने लगा।थोड़ी देर बाद ही उसे जाल भारी मालूम दिया ।मछुआरा खुश हो गया उसे लगा कोई मोटी मछली फंसी हैं।मछुआरे ने जोर लगा कर जाल बाहर खीचा। जाल में मछली की जगह हड्डियां भरी हुई थी।हड्डियों की वजह से मछुआरे का जाल कई जगह से टूट भी गया था। मछुआरे को निराश हुई लेकिन उसने जाल को साफ कर के फिर से पानी में फेंक दिया और इंतजार करने लगा।

थोड़ी सी देर बाद ही जाल फिर से भारी लगने लगा।मछुआरे ने बड़ी उम्मीद से जोर लगा कर जाल को पानी से बाहर खींचा।इस बार उसका जाल कचरे से भरा हुआ था ।मछुआरे को बड़ा दुःख हुआ। उसने दुखी हो कर कहा " हे भगवन में अपने परिवार को क्या खिलाऊँगा " दुखी मछुआरे ने अंपने जाल से कचरे को बाहर फेंका और तीसरी बार से जाल को समुंद्र में फेका और प्राथना करने लगा क़ि इस बार जाल में मछली जरूर फँसे ।

तीसरी बार जाल फिर से भारी लगा।पहले से निराश मछुआरे ने कुछ उम्मीद से जाल को पानी से बाहर खीचने लगा।लेकिन हे भाग्य ! इस बार भी मछुआरा दुःख और निराश से भर गया।जाल में कोई मछली नहीं थी।जाल पत्थर, शैल और मिट्टी से भरा हुआ था। " हे भाग्य..मुझ पर तरस खाओ " मछुआरे ने अत्यंत दुःख से कहा ।उसकी आँखों के आगे अपनी पत्नी और बच्चों का चेहरा घूमने लगा जो इस इंतजार में थे की आज मछुआरा खाली हाथ नहीं लौटेगा।

मछुआरे ने अपने जाल से गंदगी साफ करी और आखरी और चौथी बार अपने जाल को समुंद्र में फेंक दिया। निराशा जनक इंतजार उसके चेहरे पर फैल गया। कुछ वक़्त गुजरा जाल फिर से भारी हो गया।मछुआरे ने जाल बाहर खींच लिया ।लेकिन इस बार भी जाल में कोई मछली नहीं थी।इस बार जाल में एक बहुत पुराना लेम्प फंसा हुआ था। मछुआरे ने बेमन से उस लैंप को जाल से बाहर निकाला और अलट-पलट कर देखने लगा।

लैंप का ढ़क्कन बंद था और उस पर एक सील लगी हुई थी। मछुआरे ने सोचा ,इस लैंप को वो बाजार में बेच देगा और उन पैसों से अपने परिवार के लिए खाने का सामान ले जायेगा। मछुआरे ने लैंप को हिला कर देखा उसमे कोई भारी चीज इधर से उधर हो रही थी। मछुआरे को लगा शायद लैंप के अंदर भी कोई कीमती चीज मिल जाये जिसे बेच कर कुछ ज्यादा पैसे मिल जाये।ऐसा सोच कर उसने थोड़ी कोशिश कर के दक्कन की सील को तोड़ दिया और लैंप के दक्कन को खोल दिया ।मछुआरे ने लैंप मे झाँक कर देखा तो हैरान हो गया लैंप ख़ाली था ।

मछुआरा अभी कुछ सोच ही रहा था क़ि तभी लैंप के अंदर से गाढ़ा धुँआ निकलने लगा। डर के मारे मछुआरे के हाथ से लैंप छूट कर गिर गया।लैंप से निकल कर धुँआ पहले चारो तरफ फैल गया फिर उसने गोल बवंडर का रूप ले लिया।और अचानक उसमें से एक जिन्न प्रकट हुआ।भयानक आकृति को देख कर मछुआरा डर से काँपने लगा । उसका दिल चाहा क़ि वो यहाँ से तुरंत भाग जाये।लेकिन डर के मारे उसके पैर ज़मीन से चिपक गए।

विशाल जिन्न ने हुँकार भर कर कहा।" हे महान् जिन्न के राजा, अब मै आपकी आज्ञा का उलंघन कभी नहीं करूँगा।"
मछुआरे ने जब ये सुना तो उसे कुछ हिम्मत आई और उसने जिन्न से डरते हुए पूछा।
" ये तुम क्या कह रहे हो ? कौन राजा ? तुम्हे लैंप में किस ने बंद किया था ?

जिन्न फिर गरजा , " मेँ तुम्हे मार दूँगा, बस तुम्हें इतनी छूट हैं की तुम अपनी मौत का तरीका खुद तैय कर सकते हो "

" ये क्या कह रहे हो जिन्न ? मैने तो तुम्हे आजाद किया हैं ,क्या तुम ये भूल गए।" मछुआरे ने डर से चिल्लाते हुए कहा।

"नहीं मै तुम्हे बस यही छुट दे सकता हूँ क़ि तुम खुद ये तै कर सको क़ि किस तरह मरना हैं ,मै तुम्हे बताता हूँ की ऐसा क्यों हैं ,सुनो मेरी बात "

जिन्न बताने लगा। " जब मुझे जिन्नो के राजा ने लैंप में बंद कर के पानी में फेंका तो मैने शपथ ली कि जो भी इंसान मुझे सौ साल पूरे होने से पहले आजाद करेगा मै उसे मरने से पहले दुनिया का सब से अमीर आदमी बना दूँगा । लेकिन ऐसा नहीं हुआ ,पूरे सौ साल बीत गए लेकिन मुझे किसी ने भी आजाद नहीं किया "
जिन्न ने आगे बताया " फिर दूसरी सदी शुरू हो गई। मैने फिर शपत ली ।इस बार सौ साल पूरे होने से पहले जो आदमी मुझे आजाद करेगा उसे मरने से पहले मै दुनियां के सारे खजाने दे दूँगा।लेकिन अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ मुझे उन सौ सालो में भी किसी ने आजाद नहीं किया "
जिन्नी ने लंबी साँस खींच कर आगे बताना जारी रखा। " तीसरी सदी शुरू हो गई।मैने शपत ली कि इस बार जो भी मुझे बचाएगा मै उसे राजा बना दूँगा और उसके पास ही रहूँगा।रोज उसकी तीन इच्छाएं पूरी करूँगा। लेकिन तीसरी सदी पूरी होने के बाद भी मुझे किसी ने नहीं बचाया तो मुझे गुस्सा आ गया और मैने शपत ली कि अब जो भी व्यक्ति मुझे बचायेग,मै उसे मार दूँगा बस उसे अपनी मौत का तरीका चुनने का अधिकार होगा। और वो आदमी तुम हो सो अब मै तुम्हे मार डालूँगा "
जिन्न ने कहा।

मछुआरे ने जब ये सुना तो अपने सिर पर हाथ मार लिया।वो बहुत नाखुश था।उसने कहा " ओहो मेरा दुर्भाग्य.. प्लीज मुझे छोड़ दो "

"नहीं,मेरा समय बर्बाद मत करो और जल्दी बताओ क़ि तुम कैसे मरना चाहते हो।"  जिन्न ने कहा।
मछुआरा तरकीब सोचने लगा।
मछुआरे ने कहा " इस से पहले मै मरू ,मै यक़ीन करना चाहता हूँ क़ि तुम इस लैंप में थे।ये इतना छोटा लैंप हैं कि इसमे तो तुम्हारा एक पैर भी नहीं आएगा,तो तुम पूरे इसमें कैसे समां गए । " मछुआरे ने कहा।

 यह सुनते ही जिन्न ने खुद को धुँए मेँ बदलना शुरू कर दिया। जैसे वो धुँए से जिन्न में बदला था वैसे ही जिन्न से धुँए में बदलने लगा और छोटा होते होते लैंप में समां गया।लैंप के अंदर पूरी तरह समाने के बाद जिन्न बोला।
" अब तो तुम्हें यक़ीन हो गया क़ि मै इसी लैंप में था "

मछुआरे ने कोई जवाब नहीं दिया और तुरंत लैंप का ढक्कन बंद कर दिया ।और गुस्से से गरज के बोला " अब तुम मुझे बताओ कि तुम कैसे मरना चाहोगे,या तुम्हे वैसे ही समुंद्र में फेंक देता हूँ डूबने के लिए। और समुंद्र के किनारे एक घर बना कर यहाँ रहने लगूँ दुसरे मछुआरों को ये बताने के लिए क़ि एक ऐसा जिन्न हैं जो आजाद करने के बदले में मार देता हैं ।"

जिन्न चिल्लाया । " मुझे छोड़ दो,इसके बदले मे मै तुम्हे सब कुछ दूँगा " जिन्न चलाकी पर उतर आया।

" नहीं,अब अगर मै तुम पर विश्वास करता हूँ तो ये बिल्कुल ऐसा होगा जैसे ग्रीक के राजा ने शल्यचिकित्सक डब्यून के साथ किया था और मछुआरे ने जिन्न को कहानी सुननी शुरू कर दी।....
समाप्त।

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एक वक़्त था जब बच्चे बिना कहानी सुने सोते नहीं थे।बच्चे तो बच्चे ,बड़ो को भी किस्से कहानियां बहुत पसंद थे।फिर जाने वो वक़्त कहाँ खो गया।हम पैसा कमाने की दौड़ में शामिल हो गए और किस्से कहानियां भी गए वक़्त की बात हो गए। मेरा मानना हैं कहानियां हमें एक अलग दुनियां में ले जाती हैं जहाँ हम खुद से बहुत कुछ रचते हैं।तो चलिये एक कोशिश करते हैं।फिर से कुछ रचने की,कुछ गढ़ने की ,अपने जहन को परिओ और परिंदों की दुनियां में ले जाने की।
सीमा खन्ना.


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इसी तरह कहानियों से जुड़े रहे।फिर मिलते हैं।धन्यवाद...